जब भी हम गांव जाते हैं तो हमें सड़क में एक पीला फूल दिखाई देता है। यह भारत में हर जगह पर पाया जाता है। हमने इस फूल को जंगल में और सड़क के किनारे और परती भूमि में बहुतायत में देखा है। तरवर, सेना तीन प्रकार के होते हैं। मिंडी, सफेद और पीला। तरवर के पौधे 3 से 8 फीट लंबे होते हैं। और इसमें पीले फूल हैं। फूल में पाँच पंखुड़ियाँ होती हैं। तरवर के सींगों का रंग लाल होता है। और इसकी छाल से गले में खराश महसूस हो तो वो ठीक हो जाती है। अवल के पत्ते पत्तेदार होते हैं।
तरवर, सेना फूल के बीज कड़वा, ठंडा, आंखों को ठंडा करने वाला और पित्तवर्धक होता है। इसके अलावा तरवर के सेवन से फोड़े, खांसी, कीड़े, खुजली, पित्त, कफ, बुखार, सूजन आदि रोग ठीक हो जाते हैं। तो आइए आज जानते हैं तरवर से हमारे शरीर को होने वाले विभिन्न फायदों के बारे में।
मिंडी तरवर के अलग-अलग इलाकों के अलग-अलग नाम हैं। जैसे, सेना, सोनामुखी, वीर, ऐनीला, वीर ऐसी, मुखी, नीलाखा आदि। शरीर में कहीं भी मोच आ जाए तो उसका कोई दूसरा उपाय नहीं है। मोच को तुरंत ठीक करने के लिए तरवर के पत्ते को बैग में उबालकर जहां सूजन हो वहां बांध दें, दर्द तुरंत गायब हो जाता है। और मोच भी अच्छी आती है। साथ ही यह आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
गर्भवती महिला को उल्टी होने पर 10 ग्राम तरवर का फूल लेकर गाय के दूध में चीनी मिलाकर पीने से उल्टी में तुरंत आराम मिलता है। अगर मुंह में सूजन है तो तरवर के पत्तों को उबालकर कुल्ला कर लें ताकि मुंह मे तुरंत ठीक हो जाए। और मुंह में गर्मी हो तो तरवर के पत्ते चबाने से गर्मी दूर होती है। तरवर का व्यापक रूप से टूथपेस्ट के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
मधुमेह के रोगियों को भोजन से पहले आधा से एक चम्मच तरवर पंचांग चूर्ण का सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है। साथ ही इसके फूलों को सुखाकर इसका चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ लेने से भी मधुमेह में बहुत लाभ होता है। सूखा के फूल का प्रयोग मूत्र रोगों के साथ-साथ त्वचा और पेट के रोगों में भी बहुत लाभकारी होता है। अगर किसी छोटे बच्चे को दस्त और उल्टी हो तो तरवर के छिलके और बैंगन की जड़ को रगड़ने से बच्चे को दस्त और उल्टी से तुरंत राहत मिलेगी।
अवल के फूल का एक बार सेवन करने से मधुमेह के साथ-साथ मूत्र मार्ग के रोगों में भी आराम मिलता है। यदि आंखों के रोग हो गए हों तो तरवर के पत्तों को दूध में डुबोकर, उबालकर और आंखें बंद करके आंखों पर बांधने से आंखों की जलन दूर होती है। लंबे समय तक बैठे रहने या सोने या लंबे समय तक खड़े रहने से अक्सर जलन होती है। या इससे चोट लग सकती है। तो इसके लिए तरवर के पत्तों को पलंग पर फैलाया जाता है और उससे जुड़े अंगों को ढीला कर दिया जाता है।
तरवर के फूल का उबाल पीना भी आंखों की कमजोरी में काफी फायदेमंद साबित होता है। एक तरवर क्वाथ पीने से पेट से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाते हैं। मसलन पेट दर्द, चर्बी, पेट में ऐंठन आदि खत्म हो जाती है। तरवल की जड़ की छाल चबाने से तुरंत डायरिया या उल्टी बंद हो जाता है। इसके अलावा कभी-कभी बैल की पत्तियों को खिलाने से अगर मवेशियों का पेट या कीट हो तो बैल के पेट में जीभ मार देती है। कई बार अगर गाय के मुंह में भी लार हो तो आंवले के पत्तों को जीभ पर नमक से रगड़ने से लार बंद हो जाती है। और मवेशी नीरन खाने लगते हैं।