हम सब ज्यादातर अक्सर ट्रेन से यात्रा करते हैं। और हा सबको को ट्रेन मे यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। भारत में ट्रेन को देश की लाइफलाइन भी कहा जाता है। इससे रोजाना लाखों लोग अपने घर और ऑफिस तक ले जाते हैं। हालांकि ट्रेन से सफर करने से पहले हमें पहले से ही उस स्टेशन के नाम का टिकट मिल जाता है, जहां हमें जाना होता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे स्टेशन हैं जिनका कोई नाम नहीं है? यह बात जानकर आपको सब को बहुत हैरानी हुई होगी, लेकिन यह सच है। ट्रेनें आती हैं और गुमनाम स्टेशनों पर रुकती हैं, जहां यात्री बैठकर उतर जाते हैं। आपको बता दें कि भारत में 2 ऐसे रेलवे स्टेशन हैं जिनका कोई स्टेशन नाम नहीं है। अब आपके मन में यह सवाल आता है कि जब इन स्टेशनों का नाम ही नहीं है तो यात्री यहां कैसे सफर करते हैं? आइए आपको बताते हैं इस दिलचस्प टॉपिक के बारे में-
भारत में 2 ऐसे स्टेशन हैं जिनका कोई नाम नहीं है। एक पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में बांकुरा-मैसग्राम रेलवे लाइन पर स्थित है, जबकि दूसरा झारखंड में रांची-टोरी रेलवे लाइन के पास है। इन दोनों स्टेशनों को आज तक कोई नाम क्यों नहीं मिला। इसके पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है।
पश्चिम बंगाल में बांकुड़ा-माईग्राम रेल लाइन पर स्थित यह गुमनाम स्टेशन 2008 में बनाया गया था। स्टेशन बनने के बाद इसका नाम रैनागढ़ रखा गया। हालांकि गांव के कई लोगों ने नाम पर आपत्ति जताई और उन्होंने इसकी शिकायत की। इसके बाद से ही स्टेशन का नाम लेकर विवाद चल रहा है। रेलवे स्टेशन का आज तक नाम नहीं मिलने की यह एक बड़ी वजह है।
दूसरी ओर जब हम रांची से टोरी लाइन पर झारखंड जाते हैं तो बीच में एक स्टेशन है, जिसका कोई नाम नहीं है। इस अनाम स्टेशन के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी भी है। 2011 में जब इस रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हुई थी। इस बीच उसका नाम बड़की चंपी हो गया।
नाम को लेकर स्थानीय लोगों ने यह कहते हुए विरोध किया कि उन्होंने स्टेशन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इस कारण उनका नाम कमल होना चाहिए। तब से स्टेशन का कोई नाम नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेशन को रेलवे स्टेशन के आधिकारिक रजिस्टर में रखा गया है.
हालांकि इसको लेकर ग्रामीणों में काफी मतभेद है। इस कारण रेलवे स्टेशन पर कोई साइन बोर्ड नहीं है जिस पर स्टेशन का नाम लिखा हो। इस स्टेशन पर यहां से आने-जाने वाले यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है।