आज मनुष्य सांसारिक माया में फंसा हुआ है। हर कोई सुख में इतना व्यस्त है कि वह उसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन सभी भ्रमों और सुखों को छोड़कर भगवान की शरण में जाना चाहते हैं। ऐसा ही कुछ जनवरी 2019 में हुआ था। जहां एक युवती ने सुखी जीवन की जगह तपस्या का रास्ता चुना।

इस युवती ने पढ़ाई की, नौकरी के बारे में सोचा लेकिन फिर अचानक सब कुछ छोड़कर भगवान की शरण में जाना पसंद किया। यह किससा इंदौर का है। जहा, दीक्षा महोत्सव 2019 का बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया गया था। उस समय सिमरन केवल 23 वर्ष की थी। इस उम्र में उसने अपना सुखी जीवन छोड़कर साध्वी का जीवन जीने का फैसला किया था।

श्रीवर्धन श्वेतांबर स्थानीय जैन श्रावक संघ ट्रस्ट के तत्वावधान में सिमरन का दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। दीक्षा लेने से पहले सिमर ने पूरा दिन परिवार के साथ बिताया। हाथ में मेहंदी लगाई, आखिरी बार सोलह अलंकरण सजाए और फिर अपना मनपसंद खाना खाया।

दीक्षा लेने से पहले सिमर ने सभी सांसारिक चीजों को त्याग दिया था। सबसे पहले उसने अपने सारे गहने अपनी मां को दे दिए। फिर अपने बालों को छोड़ दिया। दीक्षा लेने से पहले सिमर को बताया गया कि वह सांसारिक शत्रु है। केवल मोक्ष के माध्यम से ही आध्यात्मिक शांति और परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए वह तपस्या में मानती है।

साध्वी बनने के बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने देश की कई खूबसूरत जगहों का दौरा किया है और वहां समय बिताया है। हालांकि, उन्हें कहीं भी शांति नहीं मिली। उन्हें चमक-दमक की दुनिया पसंद नहीं थी।

यहां के लोग जरूरत से ज्यादा चीजों का इस्तेमाल करते हैं। जहा संत कम से कम चीजों से जीवन जीते हैं। एकमात्र सच्चा सुख यह है कि आत्मा अधिक पाने के बजाय परमात्मा से जुड़े रहे। आपको बता दे की सिमर ने कंप्यूटर साइंस में बीसीए किया है। परिवार में उनकी एक बहन और दो भाई हैं।