आज हम आपको एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसके बारेमे आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। पिछले डेढ़ साल से चल रहा कोरोना महामारी मे उपयोग मे हुए ग्लव्स और मास्क के प्लास्टिक के कचरे का क्या हुआ था। क्यूकी कोरोना मे हर कोई मास्क का उपयोग कर रहा था। कई बार हमे विचार आता है की उपयोग मे लिए गए ग्लव्स और मास्क का आखिर मे क्या हुआ होगा और उसे कहा रखा गया होगा। चलिए आज हम आपको इसके बारे मे बताते है।
संशोधक के मुताबिक कोरोना काल में इस्तेमाल किए गए मास्क और दूसरे प्लास्टिक के कचरे को नदी और समुद्र में फेंका गया था। कोरोना के दौरान मास्को का सबसे ज्यादा उपयोग किया गया था, कोरोना महामारी के दौरान प्लास्टिक का कचरा 80 लाख टन हुआ था जिसमें से 25 हजार टन से ज्यादा कचरा सागर में चला गया।
संशोधन के मुताबिक 2020 की शुरुआत से लेकर अगस्त 2021 तक इस्तेमाल किया हुआ प्लास्टिक के कचरे का रिपोर्ट तैयार किया, जिसमें समुद्र में जाने वाला सबसे ज्यादा कचरा हॉस्पिटल से आ रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जब उसने रिपोर्ट तैयार किया तब पता चला कि अन्य कचरे का कचरा कम था और हॉस्पिटल से आने वाला कचरा सबसे ज्यादा था।
मॉडर्न प्लास्टिक काउंसिल ने कहा की एक वर्चुअल रियलिटी जैसा काम कर रहा है नानजिंग विद्यालय के प्रोफेसर यांग ने कहा कि मॉडल इस बात की नकल करता है कि पवन की लहर के कारण समुद्र में ले रहे चलती है, और सूर्य की रोशनी से यह कचरा नष्ट हो जाता है, प्लास्टिक का कचरा किनारे पर आता है और बाद में पानी में डूब जाता है ऐसे कचरा समुद्र को मिलता है।