किसान पूरे साल महेनत करके अनाज उगता है। और उसे पूरे साल खाने के लिए स्टोर भी करता है। कभी कभी पूरे साल के अनाज का स्टोर करने मे डर लगता है की कई अनाज मे कीड़े न हो जाए। कीड़े से बचने के लिए अनाज मे कीड़े मारने की दवाई रखते है उससे कीड़े तो मर जाते है पर वो हमारे शरीर मे बहुत नुकशान करती है। इससे हमारी जान भी जा सकती है। इससे हमारी जान भी जा सकती है। अनाज मे कीड़े मारने की दवाई रखना हमारी परेशानी का समाधान नहीं है। आज हम आपको कुछ घरेलू ट्रिक बताएंगे जिससे अनाज मे कीड़े भी नहीं पड़ेंगे और हमारे शरीर मे कोई नुकशान भी नहीं होगा।

कई बार गेहूं और चावल आदि मे विभिन्न कीड़ों जैसे इल्लियां और धनिया से बन जाते हैं। यदि अनाज से किट को अलग करना है, तो इसमें बहुत सारी प्रोसेस होती हैं। मानसून के मौसम में पूरी दालों में काफी कीट होने की संभावना रहती है। एक बार अनाज की किट मरने के बाद, इसे कुछ दिनों के भीतर पुनर्जीवित हो जाने की संभावना होती है। आर्द्र वातावरण में जीवित रहने की संभावना अधिक होती है।

लहसुन की तीक्ष्ण महक कीड़ों को अनाज में फैलने से रोकती है। और कीड़े अनाज मे हो गए है तो वो मार देता है। एक क्विंटल अनाज में 10 से 15 लहसुन की कलियों को खोल कर पूरे अनाज में मिला दें। इसके बाद अनाज को स्टोर करें। इससे लहसुन अनाज की नमी को भी सोखता है, जिसके कारण अनाज में कीड़े नहीं होते हैंऔर पूरे साल अनाज अच्छा रहता है।

लौंग में महक और अवशोषण शक्ति दोनों होती है। लौंग की महक से जहां एक तरफ अनाज में घुन नहीं लगता, वहीं दूसरी तरफ लौंग अनाज की नमी को भी अवशोषित कर लेती है। इसलिए आप एक क्विंटल अनाज में लगभग 250 ग्राम लौंग को मिला लें और फिर अनाज को स्टोर करें।

नीम की पत्तियां हमारे सेहत के लिए एंटीसेप्टिक का काम करती हैं। ठीक उसी तरह से नीम की पत्तियां अनाज के लिए भी एंटीसेप्टिक का काम करती हैं। नीम की पत्तियां तोड़ लें और उसे हवा में थोड़ा सूखने दें। इसके बाद अनाज में नीम की पत्तियों को मिला कर स्टोर कर लें, एसा करने से अनाज मे कोई किट नहीं होंगे।

साबूत नमक का मतलब यह है कि नमक का पाउडर फॉर्म न हो कर के वह बड़े-बड़े टुकड़ों के रूप में होता है। साबूत नमक को अनाज में मिला कर रखने से अनाज से नमी गायब हो जाती है और कीड़ों होने की संभावना कम हो जाती है।

यदि अनाज कुचल दिया जाए तो दाने के साथ-साथ कई निर्दोष जीव-जंतु पिसा जाते हैं। अनाज के आटे से कुछ समय बाद कीट मिलने की भी संभावना होती है। बाहर तैयार आटे में कई कीट मिलाए जाने की संभावना है।

साफ गेहूं और चावल आदि को अरंडी का तेल लगाने के बाद ही भरें। धनिया के साथ पारा बैग रखने से कीट नहीं होते। अनाज को पीसने से पहले एक बार फिर से साफ करले की उसमे किट है की नहीं। मानसून सीजन के दौरान मग के अलावा अन्य कठोल को छोड़ दें।

तैयार आटे का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। आटे में भी समय सीमा का उल्लंघन न करें, सावधान रहें। अनाज भरने के लिए हवाई चुस्त उपकरण रखें। बाहर रवा-मैदा का उपयोग बिल्कुल न करें।

यह जीव कितना विशाल है। कई प्रकार के पदार्थों में विभिन्न प्रकार के जैविक जीव उत्पन्न होते हैं। हरी सब्जियों में हरी इल्लियां छिपी होती हैं। पौधों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि उनका रंग और कैटरपिलर रंग एक जैसा होता है। जब ध्यान से देखा जाए तभी यह दिखने लगेगा।

पूरी को देखे बिना कच्ची सब्जियां खाने से इल्लियां खाने मे या जाती हैं। अगर सब्जी को लापरवाही से पकाया जाए तो इल्ली कट जाती है। अगर सब्जियों में सुधार किए बिना पूरी सब्जी पक जाती है, अगर अंदर इल्ली होती है तो उसे भाप से भरा जाता है। पापड़ी-मटर-भिंडा-फली-शिमला मिर्च करेला आदि में इल्लियों का खतरा ज्यादा होता है।

जब आप अनाज को स्टोर करें तो इस बात को सुनिश्चित कर लें कि अनाज साफ हो और वह सूखा हुआ हो। और 12-13 प्रतिशत तक अनाज में नमी होना ठीक है, लेकिन 13-15 प्रतिशत नमी अनाज में होना अनाज में कीड़े पड़ने के लिए काफी होता है। इसके साथ ही यह नमी उनके प्रजनन के लिए काफी होती है। और धीरे धीरे कीड़े अनाज मे बढ़ते है।