कई बार हमने देखा है कि कई लोगों की कलाई या टखने या कोहनी के पास चर्बी की गांठ और लिपोमा होती है। पहले तो इस मोटी गांठ में दर्द नहीं होता लेकिन फिर कभी-कभी दर्द होने लगता है। चर्बी की गांठ शरीर के अंदर और बाहर दोनों जगह हो सकती है। अगर हम इस गाँठ को दबाते हैं तो यह कम दिखता है और हमें कुछ नहीं होता है। लेकिन इसको निकालने के लिए ऑपरेशन करवाना पड़ता है।

 

लेकिन आज हम आपको इस मोटी गांठ से छुटकारा पाने के कुछ घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं। हमारे शरीर के अंदर बात, पित्त या कफ बढ़ जाता है। यह तब होता है जब इस प्रकार का लिपोमा बनता है। मधुमेह या उच्च रक्तचाप वाले लोगों में आमतौर पर चर्बी की गांठ विकसित होने की संभावना अधिक होती है। जिन लोगों को मोटी गांठ होती है उन्हें सफेद पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे सफेद चीनी, नमक, मैदा या मैदा की कोई बनावट।

आयुर्वेद में कहा गया है कि जिन लोगों को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, पेट में गैस, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को चर्बी की गांठ या लिपोमा हो जाता है। और जिन लोगों को पेट फूल गया है उन्हें भी यह ट्यूमर हो सकता है। जिन लोगों की मोटी गांठ होती है उन्हें अपनी डाइट में बदलाव करना चाहिए। रिफाइंड तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जिन लोगों में चर्बी की मात्रा अधिक होती है, उनमें ये चर्बी गांठ होने की संभावना अधिक होती है।

पहले के समय में एक छोटे बच्चे को सप्ताह में एक बार अरंडी का तेल दिया जाता था। क्योंकि अगर अरंडी का तेल पिया जाए तो पेट साफ रहता है और गंदगी दूर होती है। और चर्बी की गांठ भी बनना बंद हो जाती है। साथ ही पेट साफ करने से भी चर्बी की गांठें अपने आप कम हो जाती हैं। व्रत करना भी लाभकारी होता है। अगर हम एक दिन भी भूखे रहें तो शरीर में जमा गंदगी अपने आप निकल जाती है। और इस मोटी गांठ से भी आराम मिलता है।

रोज सुबह 10 से 15 मिनट तक प्राणायाम करने से भी राहत मिलती है। प्राणायाम में कपालभाति बहुत प्रभावी समाधान है। इसके अलावा रोजाना सुबह एक चम्मच देसी गाय का घी पीने से पाचन भी बेहतर होता है। और गांठ मे राहत प्रदान करता है । अगर हम जो खाते हैं उसका पाचन सही नहीं होता तो चर्बी की गांठ की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। अगर छोटी आंत या बड़ी आंत साफ होगी तो कभी भी फैट की गांठ नहीं होगी। और यही कारण है कि किसी को शरीर में कब्ज का कारण कभी नहीं होना चाहिए। इसके लिए त्रिफला पाउडर या हरड़े पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए।