आज हम आपको एक एसी कहानी बताने जा रहे है जिनको हर किसिको ससुनानी चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।

मकरपुरा की एक नामी दुकान में राजू और उसके दोस्तों लस्सी पीने के लिए गए। लस्सी मंगवाते हुए सारे दोस्त आराम से बैठे-बैठे और आपस में मजाक कर रहे थे और वो सभी लोग बहुत ही खुश थे। जबकि करीब 75-80 साल की एक बूढ़ी औरत भीख मागने आए और राजू के सामने हाथ फैलाकर पैसे मांग रही थी।  उसकी कमर टेढ़ी थी, उसके चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। आँखें अंदर से धँसी हुई थीं लेकिन चमकीली थीं। उन्हें देखकर एकाएक राजू के दिमाग में यही आया कि पैसे देने के बजाय लस्सी पीने के लिए दूं।

राजू ने बोला “दादी, लस्सी पियेंगे?”

एसा सुनकर दादी के मुह पे खुशी दिखाई दी पर उनके दोस्त हैरान रह गए। क्योंकि राजू ने सोचा की अगर वो बुड्ढी दादी कप पैसे दिए होते तो सिर्फ 5 या 10 रुपये ही देता लेकिन लस्सी 30 रुपये की एक आती है। उसने सोचा की बुड्ढी दादी तो कभी भी लस्सी खरीदकर नहीं पी सकती इसलिए उसने दादी को लस्सी पीने की ऑफर की।

दादी ने झिझकते हुए हामी भर हा दी और अपने कांपते हाथों से राजू के सामने उसके जेब मे से  6-7 रुपये जमा किए थे बो देने की कोशिश की। राजू को एसा देखकर कुछ समझ नहीं आया तो राजू ने उनसे पूछा –

“यह किस लिए है?”

‘ यह ले लीजिए और मुझे मेरी लस्सी के पैसे दे दो,! ‘

राजू बहुत भावुक होकर उसे देखकर चौंक गया था.. ।

बाद मे राजूने दुकानदार से कहा कि उसे लस्सी दो… उसने अपने पैसे वापस अपनी मुट्ठी में पकड़ लिए और पास की जमीन पर बैठ गये।

अब राजू को उनकी लाचारी का एहसास हुआ क्योंकि राजू को दुकानदार, उसके दोस्तों और वहां मौजूद कई अन्य ग्राहकों की वजह से कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सकता था ।

राजू को डर था की अगर उसने खुरसी पर बेसने के लिए कहा तो दूसरों को नहीं अच्छा लगेगा। सबको लगेगा की एक बूढ़ी औरत जो सड़क पर बेठी भीख मांगती है तो उसके साथ केसे बेठ सकता है.. । इसी वजह से राजू कुर्सी पर बैठा था, वो उसे बहुत काट रहा था।

जैसे ही मैं अपने सभी दोस्तों और बूढ़ी दादी के हाथों में लस्सी का ग्लास दिया, और राजू अपने कप पकड़ लिया और दादी के बगल में फर्श पर बैठ गया क्योंकि राजू ऐसा करने के लिए स्वतंत्र था.. । इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा।

उनके दोस्तों ने एक पल के लिए देखा … लेकिन इससे पहले कि वह कुछ भी कह सके, दुकान के मालिक ने आगे कदम रखा और उस दादी को उठा लिया और उसे एक कुर्सी पर बैठा दिया और मुझ पर मुस्कुराया और उसके हाथ मुड़ा ।

इस स्टोरी का मतलब बही है की हमे कभी किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। और सब की मदद करनी चाहिए।