हम सब हमारे धार्मिक ग्रंथ महाभारत, रामायण, भागवत से परिचित होते हैं। हमारे देश मे इसकी पूजा करते है। इसको धार्मिक ग्रंथ मानते उसकी पूजा करते है। छोटे बच्चे से लेकर बुड्ढे तक हर किसी को रामायण और महाभारत की कथा के बारे में पता होता है, आज हम आपको एक ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं जिनके बारे में आपको शायद नहीं पता होगा, जब रामायण में सीता माता का रावण ने हरण किया था और उसको अशोक वाटिका में रखा गया था तब त्रिजटा सीता माता की मदद कर रही थी। जब रावण की हत्या हुई उसके बाद त्रिजटा का क्या हुआ वह शायद ही कोई जानता होगा। तो आज हम आपको बताने जा रहे है की युद्ध के बाद त्रिजटा का क्या हुआ था।

कहा जाता है कि राक्षसी त्रिजटा ने उसके स्वप्न में राम की विजय देखी थी। तो चलिए आज हम जानते हैं कि रावण की हत्या के बारे में या युद्ध के बाद त्रिजटा का क्या हुआ था। वो कहा गई थी और उसका क्या हुआ था। तो चले जानते है उनके बारे मे।

त्रिजटा को रावण ने मुख्य राक्षसी के रूप मे सीता माता के मुख्य सेविका के रूप में रखी गई थी कई बार सीता माता को वह अच्छे-अच्छे बातें भी सुनाती थी। और आश्वासन देती थी। पूरे लंका मे सीता माता को अच्छे से रखने के लिए त्रिजटा सबसे अच्छी से ध्यान रखती थी।

रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में त्रिजटा का व्याख्यान किया गया है। लेकिन एशियाई देश में प्रचलित रामायण में त्रिजटा का बहुत बड़े रूप में उल्लेख किया गया है। जब रावण ने सीता माता का हरण किया था उसके बाद सारे राक्षसों से रक्षा करने के लिए सीता माता का त्रिजटा रक्षा कर रही थी। रामचरितमानस में मुताबिक त्रिजटा विभीषण की पुत्री थी, विभीषण की तरह वह भी एक सच्ची राम भक्त थी। मंदोदरी ने खासतौर पर सीता माता की रक्षा के लिए त्रिजटा को रखा गया था।  राम और रावण का युद्ध चल रहा था तो उसकी सारी जानकारी सीता माता को पहुंचाती थी।

युद्ध के दौरान राम और लक्ष्मण को परेशानी हुई थी तब सीता माता को सांत्वना देने के लिए त्रिजटा उसके पास खड़ी रही थी। रामचरितमानस की चौपाई के अनुसार त्रिजटा की माता का नाम शर्मिला था और पिता का नाम विभीषण था।  इस संबंध में देखा जाए तो त्रिजटा रावण की भतीजी थी। युद्ध के बाद सीता और राम ने त्रिजटा को अनमोल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। और अशोक वाटिका में 300 राक्षस के रक्षक के रूप में त्रिजटा को रखा गया था।

बाल रामायण में ऐसा कहा गया है कि त्रिजटा सीता माता के साथ पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या गई थी। आनंद रामायण में कहा गया है कि जब सीता लंका वापस आएगी तब उन्होंने अशोक वाटिका में ख्याल रखती थी वैसे ही ख्याल रखने के लिए कहा गया था और काकूइन रामायण में कहा गया है कि युद्ध के बाद सीता ने त्रिजटा को बहुत ही अनमोल भेट दिया था।

थाई रामायण में कहा गया है कि हनुमान जी का विवाह विभीषण की पुत्री त्रिजटा के साथ हुआ था। थाली रामायण में कहा गया है कि त्रिजटा और हनुमान का एक पुत्र हुआ था इसीलिए शिर बंदर जैसा था और उसका शरीर राक्षस जैसा था।